टैक्सेशन: भारत में अंतरराष्ट्रीय म्यूचुअल फंड्स के लिए कर नियम

टैक्सेशन: भारत में अंतरराष्ट्रीय म्यूचुअल फंड्स के लिए कर नियम

विषय सूची

1. परिचय और अवधारणा

भारत में निवेश के कई विकल्प उपलब्ध हैं, जिनमें से एक अंतरराष्ट्रीय म्यूचुअल फंड्स (International Mutual Funds) भी है। ये म्यूचुअल फंड्स उन योजनाओं को दर्शाते हैं जो भारतीय निवेशकों का पैसा विदेशों के शेयर बाजार या अन्य वित्तीय साधनों में लगाते हैं। इस प्रकार के फंड्स खास तौर पर उन लोगों के लिए फायदेमंद होते हैं, जो अपने निवेश को सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रखना चाहते, बल्कि वैश्विक स्तर पर विविधता (Diversification) लाना चाहते हैं।

अंतरराष्ट्रीय म्यूचुअल फंड्स क्या हैं?

अंतरराष्ट्रीय म्यूचुअल फंड्स वे फंड्स होते हैं, जो भारतीय निवेशकों से पैसा जुटाकर उसे विदेशी कंपनियों या देशों की परिसंपत्तियों में निवेश करते हैं। यह निवेश प्रत्यक्ष या किसी अन्य विदेशी फंड की यूनिट्स खरीदकर भी किया जा सकता है। इससे भारतीय निवेशक वैश्विक अर्थव्यवस्था के बढ़ने का लाभ उठा सकते हैं।

मुख्य विशेषताएँ

विशेषता विवरण
निवेश क्षेत्र विदेशी स्टॉक्स, बॉन्ड्स, और अन्य वित्तीय साधन
जोखिम स्तर मध्यम से उच्च (करेंसी रिस्क और विदेशी बाज़ार रिस्क)
लाभ डाइवर्सिफिकेशन, वैश्विक विकास में भागीदारी
कौन कर सकता है निवेश? भारतीय निवासी एवं NRI (कुछ शर्तों के साथ)

भारत में कराधान (Taxation) की संकल्पना

भारत में किसी भी तरह के निवेश पर टैक्सेशन नियम लागू होते हैं। जब आप अंतरराष्ट्रीय म्यूचुअल फंड्स में निवेश करते हैं, तो उस पर भी कुछ खास टैक्स नियम लागू किए जाते हैं। टैक्सेशन मुख्य रूप से दो बातों पर निर्भर करता है: आपके द्वारा रखी गई अवधि (Holding Period) और आपके द्वारा प्राप्त लाभ (Capital Gains)। इन दोनों का निर्धारण करना जरूरी होता है ताकि आपको सही टैक्स दर पता चल सके। आगे के अनुभागों में हम इन नियमों को विस्तार से जानेंगे।

2. अंतरराष्ट्रीय म्यूचुअल फंड्स की कर श्रेणियाँ

यह हिस्सा आपको यह समझाने में मदद करेगा कि भारत में कौन-कौन से अंतरराष्ट्रीय म्यूचुअल फंड्स उपलब्ध हैं और उन पर टैक्सेशन कैसे होता है। भारत में निवेशकों को कई तरह के अंतरराष्ट्रीय म्यूचुअल फंड्स मिलते हैं, जैसे कि यूएस इक्विटी फंड्स, यूरोपियन फंड्स, एशियन मार्केट फंड्स आदि। इन फंड्स की कर श्रेणियाँ भारतीय टैक्स नियमों के अनुसार तय होती हैं।

अंतरराष्ट्रीय म्यूचुअल फंड्स के प्रकार

फंड का प्रकार विवरण
इक्विटी ओरिएंटेड फंड्स ऐसे फंड्स जो अपनी कुल परिसंपत्ति का 65% या उससे ज्यादा विदेशी इक्विटीज़ में निवेश करते हैं।
नॉन-इक्विटी (डेब्ट) फंड्स ऐसे फंड्स जो मुख्यतः इंटरनेशनल बॉन्ड्स, डेब्ट इंस्ट्रूमेंट्स या हाइब्रिड पोर्टफोलियो में निवेश करते हैं।
फॉइल्ड (FoF) अंतरराष्ट्रीय म्यूचुअल फंड्स ये वे फंड्स हैं जो अन्य विदेशी म्यूचुअल फंड स्कीम्स में निवेश करते हैं।

कर श्रेणियाँ: कैसे होता है टैक्सेशन?

भारत में अंतरराष्ट्रीय म्यूचुअल फंड्स पर लगने वाला टैक्स मुख्य रूप से दो बातों पर निर्भर करता है – आपका होल्डिंग पीरियड और फंड का प्रकार। नीचे दिए गए टेबल से आप आसानी से समझ सकते हैं:

फंड श्रेणी होल्डिंग पीरियड कैपिटल गेन टैक्स रेट (FY 2024-25)
इक्विटी ओरिएंटेड इंटरनेशनल फंड्स* < 12 महीने (Short Term) 15%
≥ 12 महीने (Long Term) 10% (1 लाख रुपये तक छूट)
नॉन-इक्विटी (डेब्ट/ FoF) इंटरनेशनल फंड्स** कोई भी अवधि स्लैब रेट के अनुसार (अब इंडेक्सेशन लाभ नहीं मिलता)

*ध्यान दें:

भारत में अधिकांश अंतरराष्ट्रीय म्यूचुअल फंड्स नॉन-इक्विटी श्रेणी में आते हैं क्योंकि वे भारतीय कंपनियों में 65% से कम निवेश करते हैं। इसलिए, उन पर स्लैब रेट के अनुसार टैक्स लगता है।

साधारण भाषा में उदाहरण:

अगर आपने किसी US आधारित म्यूचुअल फंड में निवेश किया और वह नॉन-इक्विटी कैटेगरी में आता है, तो उस पर आपके इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगेगा, चाहे आपने कितना भी समय उसे होल्ड किया हो।
अगर आपका कोई इक्विटी-ओरिएंटेड इंटरनेशनल फंड है, तो 1 साल से कम रखने पर 15% और 1 साल से ज्यादा रखने पर 10% टैक्स लगेगा (1 लाख रुपये तक LTCG छूट)।
इस तरह, भारत में अंतरराष्ट्रीय म्यूचुअल फंड्स की कर श्रेणियाँ अलग-अलग होती हैं और आपको निवेश करने से पहले अपने टैक्स प्लानिंग जरूर समझनी चाहिए।

लाभांश वितरण पर कर नियम

3. लाभांश वितरण पर कर नियम

भारत में अंतरराष्ट्रीय म्यूचुअल फंड्स (International Mutual Funds) से प्राप्त होने वाले लाभांश (Dividend) पर टैक्सेशन से जुड़े नियमों को समझना जरूरी है। यहां हम यह जानेंगे कि डिविडेंड इनकम पर भारतीय टैक्स सिस्टम कैसे लागू होता है और TDS (Tax Deducted at Source) के क्या प्रावधान हैं।

लाभांश आय पर टैक्स

आम तौर पर, जब भी आपको किसी इंटरनेशनल म्यूचुअल फंड से डिविडेंड मिलता है, तो वह आपकी इनकम में जुड़ जाता है। भारत में वित्त वर्ष 2020-21 से पहले तक डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (DDT) लागू था, जिसे अब हटा दिया गया है। अब सभी प्रकार की डिविडेंड इनकम निवेशक के हाथ में टैक्सेबल होती है। इसका मतलब है कि आपको अपने स्लैब के अनुसार इनकम टैक्स देना होगा।

डिविडेंड आय पर टैक्स स्लैब

इनकम स्लैब (रुपये) टैक्स रेट (%)
2,50,000 तक 0%
2,50,001 – 5,00,000 5%
5,00,001 – 10,00,000 20%
10,00,000 से ऊपर 30%

अगर आपका कुल टैक्सेबल इनकम अधिक है तो उस पर सरचार्ज और सेस भी लगेगा। इसके अलावा, अगर आपकी कुल डिविडेंड इनकम ₹5,000 से ज्यादा है तो TDS भी काटा जाएगा।

TDS (टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स) नियम

फाइनेंशियल ईयर 2020-21 के बाद से म्यूचुअल फंड कंपनियां ₹5,000 से ज्यादा के डिविडेंड पर 10% की दर से TDS काटती हैं। अगर आपने अपना PAN अपडेट नहीं किया है तो यह दर 20% हो सकती है। नीचे टेबल में संक्षिप्त जानकारी दी गई है:

डिविडेंड राशि (₹) PAN उपलब्धता TDS रेट (%)
₹5,000 या कम कोई TDS नहीं
> ₹5,000 PAN उपलब्ध 10%
> ₹5,000 PAN नहीं उपलब्ध 20%

TDS क्लेम कैसे करें?

TDS आपके खाते से कट चुका होता है और आपको Form 26AS में यह जानकारी मिल जाएगी। ITR भरते समय आप इस टीडीएस का क्रेडिट क्लेम कर सकते हैं ताकि दोबारा टैक्स न देना पड़े। यदि आपकी कुल इनकम टैक्स फ्री सीमा में आती है तो आप Form 15G/15H जमा करके TDS नहीं कटवाने का विकल्प भी चुन सकते हैं।

ध्यान देने योग्य बातें:
  • विदेशी म्यूचुअल फंड्स के लाभांश पर भारत के अलावा संबंधित देश में भी टैक्स लग सकता है; ऐसे मामलों में Double Taxation Avoidance Agreement (DTAA) के तहत राहत मिल सकती है।
  • अलग-अलग म्यूचुअल फंड स्कीम्स के नियम अलग हो सकते हैं, इसलिए निवेश करने से पहले स्कीम इंफॉर्मेशन डॉक्युमेंट जरूर पढ़ें।
  • सभी लेनदेन और आय को सही-सही रिपोर्ट करना जरूरी है ताकि कोई टैक्स संबंधी समस्या न आए।

इस तरह आप इंटरनेशनल म्यूचुअल फंड्स से मिलने वाले लाभांश पर भारत में लागू टैक्सेशन व टीडीएस नियमों को आसानी से समझ और लागू कर सकते हैं।

4. कैपिटल गेन टैक्स: शॉर्ट टर्म वर्सेस लॉन्ग टर्म

अगर आप भारत में अंतरराष्ट्रीय म्यूचुअल फंड्स में निवेश करते हैं, तो आपके लिए यह जानना जरूरी है कि इन पर लगने वाला कैपिटल गेन टैक्स कैसे काम करता है। यहां शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स की गणना और लागू नियमों का विस्तार से उल्लेख होगा।

शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG)

अगर आपने अंतरराष्ट्रीय म्यूचुअल फंड यूनिट्स को खरीदने के 36 महीने या उससे कम समय में बेच दिया, तो उससे होने वाला लाभ शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन कहलाता है।

टैक्स रेट

होल्डिंग पीरियड कैपिटल गेन प्रकार टैक्स रेट
36 महीने या उससे कम शॉर्ट टर्म आपकी स्लैब के अनुसार (30% तक जा सकता है)

इसका मतलब है कि आपका लाभ आपकी कुल आय में जोड़कर उस पर आपकी टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लिया जाएगा। उदाहरण के लिए, अगर आप 20% स्लैब में आते हैं तो आपको 20% टैक्स देना पड़ेगा।

लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG)

अगर आपने अपनी म्यूचुअल फंड यूनिट्स 36 महीने से ज्यादा समय तक रखी और उसके बाद बेचीं, तो उस पर होने वाला लाभ लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन कहलाता है।

टैक्स रेट

होल्डिंग पीरियड कैपिटल गेन प्रकार टैक्स रेट
36 महीने से ज्यादा लॉन्ग टर्म 20% (इंडेक्सेशन बेनिफिट के साथ)

यहां इंडेक्सेशन का मतलब है कि महंगाई को ध्यान में रखते हुए आपके निवेश की लागत बढ़ा दी जाती है, जिससे आपको टैक्स पर थोड़ी राहत मिलती है। इससे आप अपने असली लाभ पर ही टैक्स देते हैं, न कि महंगाई के कारण बढ़े हुए लाभ पर।

इंडेक्सेशन क्या है?

इंडेक्सेशन एक ऐसी सुविधा है जिसमें सरकार आपके निवेश की लागत को महंगाई के मुताबिक एडजस्ट कर देती है। इससे लॉन्ग टर्म में आपको कम टैक्स देना पड़ता है क्योंकि आपके लाभ की गणना वास्तविक खरीद मूल्य से होती है, न कि पुरानी कीमत से।

एक नजर में समझें:
निवेश अवधि टैक्स दर विशेष सुविधा
≤ 36 महीने स्लैब के अनुसार (शॉर्ट टर्म)
> 36 महीने 20% (लॉन्ग टर्म) इंडेक्सेशन बेनिफिट

इस तरह आप अपने निवेश को प्लान करते वक्त होल्डिंग पीरियड और संभावित टैक्स लायबिलिटी का ध्यान रखें। सही जानकारी से आप अपने मुनाफे को बेहतर तरीके से मैनेज कर सकते हैं।

5. Double Taxation Avoidance Agreement (DTAA) का महत्व

जब भारतीय निवासी अंतरराष्ट्रीय म्यूचुअल फंड्स में निवेश करते हैं, तो उन्हें अक्सर दो देशों में टैक्स देना पड़ सकता है – भारत और वह देश जहाँ फंड रजिस्टर्ड है। यह डबल टैक्सेशन की स्थिति पैदा करता है, जिससे निवेशक की कमाई पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है। इस समस्या को हल करने के लिए DTAA यानी Double Taxation Avoidance Agreement का बहुत महत्व है।

DTAA क्या है?

DTAA एक कर संधि है जिसे भारत ने कई देशों के साथ साइन किया है। इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि एक ही आय पर दो बार टैक्स न लगे। उदाहरण के लिए, अगर आपने यूएस आधारित म्यूचुअल फंड में निवेश किया और वहां आपको डिविडेंड या कैपिटल गेन मिला, तो उसपर अमेरिका में भी टैक्स लग सकता है और भारत में भी। DTAA के तहत, आप इनमें से एक देश में टैक्स क्रेडिट क्लेम कर सकते हैं।

भारतीय निवेशकों के लिए DTAA के फायदे

फायदा विवरण
टैक्स क्रेडिट अगर आपने विदेशी देश में टैक्स दिया है, तो उतना ही टैक्स भारत में क्लेम कर सकते हैं। इससे डबल टैक्स नहीं लगता।
कम टैक्स दरें कुछ देशों के साथ DTAA से आपको कम टैक्स दर मिलती है, जिससे कुल टैक्स बोझ कम हो जाता है।
सरल प्रक्रिया DTAA के तहत स्पष्ट नियम होते हैं, जिससे टैक्सेशन की प्रक्रिया आसान हो जाती है।
आय की पारदर्शिता आपको दोनों देशों में अपनी इनकम दिखानी होती है, जिससे कानूनी परेशानी नहीं आती।
कैसे करें DTAA का लाभ उठाना?

अगर आप भारत में रहते हैं और विदेशों के म्यूचुअल फंड्स में निवेश करते हैं, तो आपको DTAA के तहत निम्नलिखित स्टेप्स फॉलो करने चाहिए:

  • फॉरेन इन्कम की जानकारी सही तरीके से ITR (Income Tax Return) में दें।
  • अगर विदेशी देश में टैक्स कट चुका है, तो वहां का टैक्स रसीद या प्रमाण पत्र रखें।
  • DTAA क्लेम करने के लिए Form 67 भरें और सबमिट करें।
  • सभी जरूरी दस्तावेज संभालकर रखें ताकि जरूरत पड़ने पर दिखा सकें।

इस तरह DTAA भारतीय निवासियों को अंतरराष्ट्रीय म्यूचुअल फंड्स में निवेश करते समय डबल टैक्सेशन से बचाता है और आपके रिटर्न को अधिक प्रभावी बनाता है। यह जानना और समझना जरूरी है कि कौन-से देशों के साथ भारत का DTAA है और उसमें मिलने वाले लाभ क्या हैं ताकि आप स्मार्ट इन्वेस्टमेंट डिसीजन ले सकें।

6. रिपोर्टिंग और अनुपालन दिशानिर्देश

अगर आप भारत में रहते हैं और अंतरराष्ट्रीय म्यूचुअल फंड्स (International Mutual Funds) में निवेश करना चाहते हैं, तो आपको कुछ खास रिपोर्टिंग और अनुपालन नियमों (Reporting and Compliance Guidelines) का पालन करना जरूरी है। ये नियम भारतीय टैक्स डिपार्टमेंट (Income Tax Department of India) और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) द्वारा निर्धारित किए गए हैं ताकि विदेशी निवेश पारदर्शी और सही तरीके से हो सके। नीचे हमने इन दिशानिर्देशों को आसान भाषा में समझाया है।

विदेशी निवेश की रिपोर्टिंग: क्या-क्या देना जरूरी है?

भारतीय निवेशकों को विदेश में किए गए म्यूचुअल फंड निवेश की जानकारी अपनी सालाना आयकर रिटर्न (ITR) में देनी होती है। आइए, देखें कि किन-किन विवरणों का खुलासा करना अनिवार्य है:

रिपोर्टिंग विवरण विवरण
निवेश की राशि कितना पैसा आपने विदेशी म्यूचुअल फंड्स में लगाया है
निवेश की तारीख कब आपने निवेश किया था
फंड का नाम व देश म्यूचुअल फंड किस देश/कंपनी का है, उसका नाम
कमाई गई आय विदेशी फंड से हुई कमाई (डिविडेंड, कैपिटल गेन आदि)
टैक्स की कटौती अगर किसी विदेशी देश ने टैक्स काटा है तो उसकी जानकारी भी दें

LRS के तहत अनुपालन: क्या ध्यान रखें?

भारतीय निवासी विदेशी संपत्ति में निवेश करने के लिए लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) के तहत हर साल $250,000 तक भेज सकते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान आपको अपने बैंक के साथ फार्म A2 भरना होता है, जिसमें निवेश के उद्देश्य, राशि आदि की घोषणा करनी पड़ती है। साथ ही, यह भी सुनिश्चित करें कि आप FEMA (Foreign Exchange Management Act) के सभी नियमों का पालन कर रहे हैं। यदि कोई गड़बड़ी पाई जाती है तो पेनल्टी भी लग सकती है।

ITR फाइल करते समय क्या ध्यान रखें?

  • आयकर रिटर्न में ‘Schedule FA’ जरूर भरें, जिसमें सारी विदेशी संपत्तियों की जानकारी दी जाती है।
  • अगर आपने किसी विदेशी म्यूचुअल फंड से कमाई की है, तो उसे ‘Other Sources’ या ‘Capital Gains’ के तहत दिखाएं।
  • अगर उस आय पर विदेश में टैक्स कट गया है, तो DTAA (Double Taxation Avoidance Agreement) का लाभ ले सकते हैं। इसके लिए प्रूफ साथ रखें।
  • सभी डॉक्युमेंट्स जैसे इन्वेस्टमेंट स्टेटमेंट, बैंक स्लिप्स संभालकर रखें – यह ऑडिट या पूछताछ के वक्त काम आएंगे।
क्या होगा अगर रिपोर्टिंग नहीं की?

अगर आपने अपनी विदेशी संपत्तियों या इनकम की सही-सही जानकारी नहीं दी, तो ब्लैक मनी एक्ट (Black Money Act) के तहत भारी जुर्माना और कानूनी कार्रवाई हो सकती है। इसलिए हमेशा सही जानकारी देना ही सबसे सुरक्षित तरीका है।

इस तरह भारतीय निवेशकों को अंतरराष्ट्रीय म्यूचुअल फंड्स में निवेश करते समय सही रिपोर्टिंग और अनुपालन का पूरा ध्यान रखना चाहिए ताकि भविष्य में किसी तरह की दिक्कत न आए।

7. समाप्ति: सतर्क निवेश और सलाह

जब हम भारत में अंतरराष्ट्रीय म्यूचुअल फंड्स (International Mutual Funds) में निवेश करने की बात करते हैं, तो कर नियमों (Taxation Rules) को समझना बहुत जरूरी है। यह निवेश आपके पोर्टफोलियो को विविधता देने का मौका देता है, लेकिन इसमें जोखिम और टैक्स की जटिलताएँ भी शामिल होती हैं। इसलिए सतर्क रहकर सही जानकारी के साथ कदम उठाना चाहिए।

सतर्कता क्यों जरूरी है?

अंतरराष्ट्रीय म्यूचुअल फंड्स में निवेश करते समय कई पहलुओं पर ध्यान देना होता है जैसे कि विदेशी बाजारों का उतार-चढ़ाव, कराधान के नियम, और विदेशी मुद्रा दरों में बदलाव। नीचे दी गई तालिका से आप आसानी से देख सकते हैं कि किन बातों पर सतर्क रहना चाहिए:

ध्यान देने योग्य बातें महत्व
विदेशी टैक्स नियम हर देश के टैक्स कानून अलग होते हैं, जिनका असर आपके रिटर्न पर पड़ सकता है।
रुपये-डॉलर विनिमय दर मुद्रा परिवर्तन से लाभ या नुकसान हो सकता है।
भारतीय टैक्स नियम लंबी और छोटी अवधि के कैपिटल गेन टैक्स अलग-अलग होते हैं।
फंड का प्रदर्शन केवल पिछले रिटर्न देखकर ही निवेश न करें, अन्य पहलुओं को भी देखें।

जरूरी वित्तीय सलाहें

  • हमेशा अपने निवेश लक्ष्य (Investment Goals) साफ रखें और उसी अनुसार फंड चुनें।
  • एक ही बार में सारा पैसा न लगाएं; धीरे-धीरे SIP जैसे विकल्पों से निवेश करें।
  • रिस्क प्रोफाइल को समझें – अगर ज्यादा जोखिम लेने की क्षमता नहीं है तो कम जोखिम वाले फंड चुनें।
  • विविधता बनाए रखें ताकि किसी एक देश या सेक्टर पर निर्भरता न रहे।
  • नियमित रूप से अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा करें।

स्थानीय टैक्स सलाहकार की भूमिका

भारत में अंतरराष्ट्रीय म्यूचुअल फंड्स पर टैक्सेशन जटिल हो सकता है क्योंकि इसमें विदेशी कानून और डबल टैक्सेशन अवॉयडेंस एग्रीमेंट्स (DTAA) लागू हो सकते हैं। यहां स्थानीय टैक्स सलाहकार आपकी मदद कर सकते हैं:

  • वे आपको बताएंगे कि किस तरह के फंड्स पर कितना टैक्स लगेगा।
  • कैसे आप इनकम टैक्स रिटर्न में सही तरीके से डिक्लेयर करें।
  • अगर किसी विदेशी देश में टैक्स कट गया है, तो उसका क्लेम कैसे करें।
  • DTAA का फायदा कैसे लें ताकि दोहरी कराधान से बच सकें।
  • नियम बदलते रहते हैं, इसलिए अपडेटेड जानकारी मिलती रहेगी।

आपको क्या करना चाहिए?

– हमेशा निवेश से पहले किसी अनुभवी वित्तीय सलाहकार या टैक्स एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें।- खुद भी बुनियादी रिसर्च करें ताकि आप जागरूक रहें।- दस्तावेज़ संभालकर रखें और समय-समय पर अपने निवेश का मूल्यांकन करते रहें।- भरोसेमंद और SEBI रजिस्टर्ड फाइनेंशियल एडवाइजर चुनें।
इस तरह सतर्कता बरतकर और सही सलाह लेकर आप भारत में अंतरराष्ट्रीय म्यूचुअल फंड्स में सुरक्षित एवं स्मार्ट तरीके से निवेश कर सकते हैं।